shweta soni

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स्वर्ण यक्षिणी...( प्रस्तावना )

प्राचीन काल में हमारे ऋषि मुनियों ने अपने इष्ट के समीप जाने के लिए उनका आवाहन कर तपस्या करते । यज्ञ , हवन कर उनका आवाहन करके अपनी मनोकामना पूरी करते और कुछ महात्मा अपने इष्ट से अचूक और शक्तिशाली सिद्धियां भी प्राप्त करते थे और अब भी कहीं - कहीं इनका प्रयोग करते हैं । जिनका इस पूरे ब्रम्हांड में कोई तोड़ नहीं है । चाहें वो शक्तिशाली अस्र शस्त्र हो या किसी मनुष्य को पुनर्जीवित करने का संजीवनी मंत्र हो या देवी - देवताओं , यक्ष , किन्नर , गंधर्व ही क्यूं ना हो । उन्हीं में एक होती है यक्षिणियां  , यूं तो छत्तीस योनि कि यक्षिणियों  का उल्लेख किया जाता है । जो अपने आप में बेहद शक्तिशाली होती है । उन्हीं में एक यक्षिणि है " स्वर्ण यक्षिणि " जिसे किसी सिद्ध , निडर और संयम पुरूष ने उसे सिद्ध कर लिया तो मानो  ब्रम्हांड का वैभव उसके पैरों में होगा । प्राचीन काल में अधिकतर सिद्ध साधकों के पास ये सिद्धियां थी । लेकिन जैसे - जैसे समय चक्र आगे बढ़ता गया । आधुनिकता बढ़ती गई लोगों में लालच भी बढ़ता गया । भविष्य में इस विद्या या सिद्धि के दुरूपयोग को सुरक्षित करने के लिए " स्वर्ण सिद्धि "  विद्या को के स्वर्ण पत्र में सहेज कर किसी गुप्त स्थान पर रख दिया गया । लेकिन कुछ महत्वकांक्षी लोगों ने उस विद्या को ढूंढने का भरपूर प्रयास किया । लेकिन वो विद्या आज तक लुप्त है । जिसे इंतजार है किसी योग्य पुरूष का जिससे वो इस विद्या को आगे बढ़ायें और मानव कल्याण के लिए कार्य करें ।‌

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6 Comments

hema mohril

22-Jan-2025 02:39 PM

fabulous

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Arti khamborkar

19-Dec-2024 03:57 PM

v nice

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Gunjan Kamal

11-Apr-2024 03:48 PM

👌🏻👏🏻

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